बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
भारवेरर्थगौरवम् पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
'भारवेरर्थगौरवम्'
शब्दों की सीमित नियोजना में वृहत् अर्थ भरने की सम्भावना ही 'अर्थगौरव है। दूसरे शब्दों में शब्दार्थ संगति और औचित्यपूर्ण निर्वाह तथा छोटे शब्दों में विस्तृत अर्थ का समावेश ही शब्द संयोजन में अपने प्रकृत अर्थ से अधिक अर्थ प्रदान करने की क्षमता ही "अर्थगौरव” है। इसके लिए अर्थान्तरन्यास अलंकार प्रमुख रूप से साधन है। इस प्रकृति के लिए भारवि ही प्रसिद्ध है। अर्थ की गम्भीरता के लिए कुछ शैली-तंत्र आवश्यक हैं- क्रमशः सूक्तिप्रियता, शब्दशक्ति, अलंकारों का प्रयोग, चमत्कारप्रियता, शब्दलाघव और उक्ति वैचित्र्य।
1. सूक्तिप्रियता - कवि का व्यवहार ज्ञान सूक्ति का प्रणयन् कराता है। सूक्तियाँ मानवीय घटनाओं को प्रभावित करती हैं तथा अर्थ-विस्तार में सहायता प्रदान करती है। यथा "हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः'
2. शब्दशक्ति - भारवि ने अर्थगौरव को बढ़ाने के लिए अभिधा, व्यंजना, लक्षणा, इन तीनों शब्द शक्तियों का प्रयोग किया है।
3. शब्दलाघव - भारवि ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है जो कि अकेला ही कई भावो और शब्दो का व्यंजक होता है जिसमें षड्वर्ग तथा मानवीय शब्द ध्येय हैं। षडवर्ग से काम, क्रोध आदि 6 विकारों का ध्यान आता है तथा मानवीय रूप से मनु द्वारा मनुस्मृति में कही गयी सभी व्यवस्थाओं का स्वरूप सामने आता है।
4. अलंकार - भारवि के काव्य में प्रयुक्त श्लेष अलंकार भी अर्थगौरव का मूल कारण है। जहाँ तक भारवि की वाणी का प्रश्न है, वह अर्थ से युक्त है अर्थात वह अर्थवक्ता है। इस बात की पुष्टि 'किरातार्जुनीयम् के किसी भी श्लोक से सिद्ध होती है। यही कारण है कि भारवि की रचना किरातार्जुनीयम् भारवि को 'भारवेरर्थगौरवम्' से सुशोभित होने में सहायता प्रदान करती है।
भारवि के काव्य को पढ़ने से सहृदय व्यक्ति मुग्ध हो जाता है। भारवि के काव्य में कवित्व का अविरल स्रोत मिलता है। शब्द-सौन्दर्य और अर्थगौरव भारवि की समान रूप से भावना का ही प्रेरणा-स्रोत है।
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- प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
- प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
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- प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
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- प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
- प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
- प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
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